Monday, April 13, 2020

भारत जानता है|

मध्य युग में सम्पूर्ण यूरोप पर राज करने वाला
#रोम (इटली) नष्ट होने के कगार पे आ गया।

मध्य पूर्व को अपने कदमो से पददलित करने वाला
#ओस्मानिया साम्राज्य (ईरान, टर्की) अब घुटनो के बल हैं।

जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था,
उस #ब्रिटिश साम्राज्य के उत्तराधिकारी बर्किंघम महल में कैद हैं,

जो स्वयं को आधुनिक युग की सबसे बड़ी शक्ति समझते थे
उस #रूस की सीमा बन्द है।

जिनके एक इशारे पर दुनिया के नक़्शे बदल जाते हैं, जो पूरी दुनिया का अघोषित चौधरी हैं,
उस #अमेरिका में लॉक डाउन है।

और, जो आने वाले समय में सबको निगल जाना चाहते थे,
वो #चीन आज मुँह छिपाता फिर रहा है और सबकी गालियाँ खा रहा है।

एक छोटे से परजीवी ने विश्व को घुटनो पर ला दिया है।
न #एटम_बम काम आ रहे न #तेल_के_कुँए,,..

मानव का सारा विकास एक छोटे से #विषाणु से सामना नहीं कर पा रहा।..
क्या हुआ ???... निकल गयी हेकड़ी ???
बस इतना ही कमाया था आपने इतने वर्षों में कि एक छोटे से #जीव ने घरों में कैद कर दिया।।

विश्व के सब देश आशा भरी नज़रो से देख रहे हैं हमारे देश #भारत की तरफ,
उस भारत की ओर जिसका #सदियों तक #अपमान करते रहे, #लूटते रहे।
एक मामूली से जीव ने आपको आपकी #औकात बता दी।।

भारत जानता है कि #युद्ध अभी शुरू हुआ है जैसे जैसे #ग्लोबल_वार्मिंग बढ़ेगी, #ग्लेशियरो की बर्फ पिघलेगी, और आज़ाद होंगे लाखों वर्षो से बर्फ की चादर में कैद #दानवीय_विषाणु,
जिनका न आपको परिचय है और न लड़ने की कोई तैयारी।...

ये #कोरोना तो झाँकी है...#चेतावनी अभी है।...
उस आने वाली #विपदा की, जिसे आपने जन्म दिया है।

क्या आप जानते हैं, इस #आपदा से लड़ने का तरीका कहाँ छुपा है ???

#तक्षशिला के खंडहरो में, #नालंदा की राख में, #शारदा_पीठ के अवशेषों में, #मार्तण्ड मन्दिर के पत्थरों में,,...

सूक्ष्म एवं परजीवियों से मनुष्य का युद्ध नया नहीं है।
ये तो सृष्टि के आरम्भ से अनवरत चल रहा है और सदैव चलता रहेगा।

इस से लड़ने के लिए के लिए हमने हथियार खोज भी लिया था।
मगर आपके अहंकार, आपके लालच, स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने की हठ-धर्मिता ने सब नष्ट कर दिया।

क्या चाहिए था आपको ??? #स्वर्ण एवं #रत्नो के भंडार ???
यूँ ही माँग लेते,...#राजा_बलि के वंशज और #कर्ण के अनुयायी आपको यूँ ही दान में दे देते।

सांसारिक वैभव को त्यागकर आंतरिक शांति की खोज करने वाले समाज के लिए वे सब यूँ भी मूल्यहीन ही थे।
ले जाते – मगर आपने ये क्या किया ???

#विश्व_बंधुत्व की बात करने वाले #हिन्दू_समाज को नष्ट कर दिया।
जिस #बर्बर का मन आया वही भारत चला आया।
#जीव में #शिव को देखने वाले समाज को नष्ट करने।

कोई #विश्व_विजेता बनने के लिए #तक्षशिला को तोड़ कर चला गया,
कोई #सोने की चमक में अँधा होकर #सोमनाथ लूट कर ले गया,
कोई #बख़्तियार_ख़िलजी खुद को ऊँचा दिखाने के लिए #नालंदा के पुस्तकालयों के ग्रंथों को जला गया,
किसी ने बर्बरता से #शारदा पीठ को नष्ट कर दिया,
किसी ने अपने #झंडे को ऊँचा दिखाने के लिए #विश्व_कल्याण का केंद्र बने #गुरुकुल_परंपरा को ही नष्ट कर दिया,,

और आज #करुणा भरी निगाहों से देख रहे हैं उसी #पराजित, #अपमानित, पद दलित #भारत_भूमि की ओर – जिसने अभी अभी अपने #घावों को भरके
2014 से #अँगड़ाई लेना आरम्भ किया है।

हम फिर भी उन्हें निराश नहीं करेंगे,
फिर से #माँ_भारती का आँचल आपको इस संकट की घड़ी में #छाँव देगा,

#श्री_राम के वंशज इस #दानव से भी लड़ लेंगे।
किन्तु...???
किन्तु...???

मार्ग...???...
उन्ही नष्ट हुए #हवन_कुंडो से निकलेगा।..
जिन्हे कभी आपने अपने पैरों की #ठोकर से तोड़ा था।

आपको उसी #नीम और #पीपल की छाँव में आना होगा।..
जिसके लिए आपने हमारा #उपहास किया था।

आपको उसी #गाय की महिमा को स्वीकार करना होगा।..
जिसे आपने अपने #स्वाद का कारण बना लिया।

उन्ही मंदिरो में जाके #शंखनाद करना होगा।...
जिनको कभी आपने #तोड़ा था।

उन्ही #वेदो को पढ़ना होगा।..
जिन्हे कभी #अट्टहास करते हुए नष्ट किया था।

उसी #चन्दन ... #तुलसी को मस्तक पर धारण करना होगा।..
जिसके लिए कभी हमारे #मस्तक धड़ से अलग किये गए थे।

....ये #प्रकृति का न्याय है और आपको स्वीकारना ही होगा।।
साभार🙏

Friday, April 3, 2020

*प्रभु श्रीरामांची वंशावळ*

*प्रभु श्रीरामांची वंशावळ*

०० - ब्रह्मा

०१ - ब्रह्माचा पुत्र मरीची.

०२ - मरीची चा पुत्र कश्यप.

०३ - कश्यप चा पुत्र विवस्वान.

०४ - विवस्वान चा पुत्र वैवस्वत मनु.
       (याच्याच काळात जलप्रलय झाला)

०५ - वैवस्वत मनुचा तिसरा पुत्र इक्ष्वाकु,
       १० पैकी. (याने अयोध्याला राजधानी
       व इक्ष्वाकु कुळाची स्थापना केली)

०६ - इक्ष्वाकुचा पुत्र कुक्षी.

०७ - कुक्षीचा पुत्र विकुक्षी.

०८ - विकुक्षीचा पुत्र बाण.

०९ - बाणचा पुत्र अनरण्य.

१० - अनरण्यचा पुत्र पृथु.

११ - पृथुचा पुत्र त्रिशंकु.

१२ - त्रिशंकुचा पुत्र धुंधुमार.

१३ - धुंधुमारचा पुत्र युवनाश्व.

१४ - युवनाश्वचा पुत्र मान्धाता.

१५ - मान्धाताचा पुत्र सुसंधी.

१६ - सुसंधीचे २: ध्रुवसंधी व प्रसेनजित.

१७ - ध्रुवसंधी चा पुत्र भरत.

१८ - भरतचा पुत्र असित.

१९ - असितचा पुत्र सगर.

२० - सगरचा पुत्र असमंज.

२१ - असमंजचा पुत्र अंशुमान.

२२ - अंशुमानचा पुत्र दिलीप.

२३ - दिलीपचा पुत्र भगीरथ.
       (यानेच गंगा पृथ्वीवर आणली)

२४ - भागीरथचा पुत्र ककुत्स्थ.

२५ - ककुत्स्थचा पुत्र रघु.
       (अत्यंत तेजस्वी, न्यायनिपुण, पृथ्वीवरचा
       पहिला ज्ञात चक्रवर्ती. म्हणूनच इक्ष्वाकू
       कुळ हे *रघुकुळ* म्हणुन प्रसिद्ध झाले)

२६ - रघुचा पुत्र प्रवृद्ध.

२७ - प्रवृद्धचा पुत्र शंखण.

२८ - शंखणचा पुत्र सुदर्शन.

२९ - सुदर्शनचा पुत्र अग्निवर्ण.

३० - अग्निवर्णचा पुत्र शीघ्रग.

३१ - शीघ्रगचा पुत्र मरु.
        (याच्या सत्तेने आताचे अरबस्तान #
         मारुधर, मरुस्थान किंवा मरूभूमी
         म्हणून ओळखले जायचे)

३२ - मरुचा पुत्र प्रशुश्रुक.

३३ - प्रशुश्रुकचा पुत्र अम्बरीष.
       (राजाने कायम संन्यस्त असावे
        याचा परिपाठ यांनीच घातला)

३४ - अम्बरीषचा पुत्र नहुष.
       (यांच्यापासुन कुरुवंश सुरु होतो)

३५ - नहुषचा पुत्र ययाति.

३६ - ययातिचा पुत्र नाभाग.

३७ - नाभागचा पुत्र अज.

३८ - अजचा पुत्र दशरथ.

३९ - दशरथचे चार पुत्र
      *राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न.*

ब्रह्माच्या *४०व्या पीढ़ीत* श्रीराम जन्मले.

*चाळीस पिढ्यात*
*असं झालं नाही, अस केलं नाही,*
👆चाळीस पिढ्या
हे वाक् प्रचार यातुन जन्माला आले. अतिषय दुर्मिळ माहीती शेअर करित आहे ती वाचा नक्की आवडेल .
ज्याने ही माहीती मिळवली त्याला
माझे शतश: प्रणाम....
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼