Wednesday, February 19, 2020

प्रत्येक हिंदू को पढावें।

प्रत्येक हिंदू को पढावें।
                        *(हाफिज        सईद)               का फतवा..*                           
अगर आपके पास थोडा भी समय हो तो पाकिस्तान से आये हुये इस पत्र जो की भारत की 3.5 लाख वहाबी मस्जिदों मे हर जुम्मे को पढ़ा जाता है ...अवश्य पढ़ें ...और आप ना भी पढ़े तो कम से कम अपने मासूम बच्चों को अवश्य पढ़ायें ... ताकि वो अपनी जिंदगी..एक मासूम बनकर ना जियें !

'' *उर्दू फारसी पत्र की सत्यप्रति786*
*पैगाम इस्लाम*

आप सबको गुजारिश है कि हमने हिन्दुस्तान पर 800 साल हुकूमत की है। अब भी हमारी हुकूमत चलती है पर सीधी तरह से नहीं। सब पार्टियां और इनके काफिर नेता हमारे इशारे पर नाचते हैं।
*हमको आज मदरसों, मस्जिदों और हज के लिये पैसा मिलता है।*

2004 और 2009 के चुनाव में हिन्दुओं की पार्टी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी मगर हमारी पूरी हुकूमत तो तब मानी जायेगी जब पूरा हिन्दुस्तान इस्लाम के झण्डे के नीचे होगा। जल्दी ही हमारे मुजाहिद्दीन लड़ाके सफ़ेद दाड़ी वाले गुजराती को मार देंगे फिर हिन्दुओं का अंतिम रहनुमा भी हमारे रास्ते से हट जायेगा !

इसलिये हर मुसलमान का फर्ज है कि खाना जंगी के लिये तैयार रहें। इसके लिये हथियारों के अलावा बम्ब बनाना सीखें और कुरान की 24 आयातें रोज पढ़ें और उसी के मुताबिक काफिरों के मारने, जलाने और धोखे से पकड़ने का काम सरंजाम दें और उनको लूट और उनकी औरतों को भगा कर शादी करें। वैसे तो ये सिलसिला 70 साल से चल रहा है। पर अब पूरा जोर तब लगायें जब खाना जंगी के लिये आईएसआई और इंडियन मुजाहिद्दीन के लिये हुकुम देंगे।

हर मुसलमान को दूसरा कलमा रोज पढ़ना चाहिये। वो यह है- हंस के लिये लिया है पाकिस्तान और लड़के लेंगे हिन्दुस्तान।

अगरचे मदरसा जैल बातों पर आप लोग चल रहे हो फिर भी तबज्जो दें।

1- *बिजनौर यू0पी0 फार्मूलाः-* यहां पर मुसलमान जवान लड़के हिन्दुओं से दोस्ती करके अपने घर बुलाकर मछली, मुर्गा खिलाते हैं और फिर काफिरों के घर उनकी औरतों से यारी करके फंसाते हैं। ये औरतें मुसलमानों को माल भी खिलाती हैं और पैसा भी देती हैं। बहुत सी काफिर लड़कियों ने मुसलमानों से शादी कर ली है। वाह अल्ला तेरा शुक्र है।

*2-बोतल फार्मूला-* गरीब बस्तियों में काफिरों को ज्यादा शराब पिला कर नामर्द बनाओ और उनकी औरतों से ऐश करो। 9 करोड़ हिंदु तो मुसलमानों से मिल चुके हैं और उनकी औरतें तो आराम से मुसलमानों के बगल में आ जाती हैं।

3 *-चोरी डकैती-* काफिरों के घरों में धोखा देकर चोरियां करो उनके खेतों की फसल काटो और उनके जानवरों की भी चोरी करो।

4- *शहरी फार्मूला-(1)*  मुसलमान अकल से काम लें, अपने छोटे लड़कों को काफिरों के घर नौकर रखो और 25/25 बच्चे कैसे पालोगे, 8/10 साल के बाद आपके बच्चे जवान होकर घर की हिन्दू औरतों से दोस्ती करेंगे और ऐश के साथ-साथ पैसा भी खूब मारेंगे।

*शहरी फार्मूला-(2)* मुसलमान जवान नौकर, ड्राइवर, खानसामा, रोटी पकाने वाला, माली, चैकीदार बन हिन्दू नामों से रहो और मौका मिलते ही उपर वाली बातों पर अमल करें। इसके अलावा उनकी गाड़ियों, स्कूटरों वगैरा भी चोरी कर सकते हैं। ये शहर के इमाम से हर तरह के उस्तादों का पता लग जायेगा। काफिरों को जब पता लगा अपनी औरतों के बारे में पता लगा तो उन्होंने नौकरी से निकालने की कोशिश की तो औरतें ही कहने लगी-अच्छा भला ईमानदारी से काम करता है इसे नौकरी से क्यों निकालते हो। कई बार औरतें मुसलमानों के साथ भाग गईं। कई मुसलमान निकाले जाने के बाद दिन में जब काफिर घर पर नहीं होते आकर ऐश, ईशरत करते हैं। माल खाते हैं और पैसे भी ले जाते हैं। या अल्ला तेरा शुकर है तूने किसलिये हिन्दू को अंधा बनाकर रखा है, जिसको पैसा कमाने के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता। ये इस्लाम की जीत है।

*जेहाद-* खाना जंगी के जेहाद में यदि मुसलमान शहीद होगा तो उसे जन्नत मिलेगी, अगर जिन्दा बचता है तो हिन्दुस्तान के काफिरों की सारी जायदादें मुसलमानों को मिलेंगी और सारी हिन्दू औरतें भी मिलेंगी तो यह भी जन्नत होगी। जैसे पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश की सब कोठियां बंगले मुसलमानों को मिले थे। जेहाद के लिये 2 लाख सीमी के जवान 1 लाख अलकायदा के लिये मुसलमान तैयार हैं। अब हम 20 करोड़ हो गये हैं इसके अलावा 5 करोड़ बंग्लादेशी जिसमें 1 लाख मुजाहिद्दीन लड़ाके हैं। इसलिये घबराने की जरूरत नही है। हिन्दुस्तान की मिलिट्री में भी काफी मुसलमान हैं और बहुत से तो हिन्दू नामों से भर्ती हैं। पुलिस में भी काफी मुसलमान हैं और वक्त आने पर काफिरों को दोजख पहुचायेंगे।

आम हिन्दू लोगों में मुसलमानों के लिय नरम रूख है जिसकी वजह ऊपर बतायी वजह हिन्दू औरतों से दोस्ती है। केरल, मद्रास और हैदराबाद में काफी असलाह पाकिस्तान और अरब मुल्कों से आ चुका है। बिहार में चीन और बांग्लादेश से 60 हजार एके-47 आ चुकी हैं। इसलिये लाल किला पर झण्डा जल्दी झूलेगा।

अरब मुल्कों में हिन्दू औरतों को नर्स, आया, खाना बनाने वाली बनाकर ज्यादा से ज्यादा भेजें। अच्छी तनख्वाह के लालच में गरीब व दरम्यान घर की लड़कियां खुशी से जाती हैं और वहां जाकर रात को सारी की सारी अरबों के पास सो जाती हैं और मुसलमानों की आबादी बढ़ाने में काफी मददगार हैं।

*हिन्दू लड़की से शादी, ::-+-*
हिन्दू लड़की जो भगाकर लायी जाये उसे 2 दिन भूखा रखें फिर अच्छा-अच्छा खाना दें। उनकी सतत या खतना जरूर करायें। अगर उसके रिश्तेदार कोर्ट केस करें तो कोर्ट में ले जाने से पहले 50/60 बंदूकों के हथियार दिखायें और खबरदार करें। अगर हमारे खिलाफ बयान दिये तो तेरे भाई और खानदान को भून देंगे। ऐसी लड़की को वश में करने वाले ताबीज पहनाना न भूलें। ये भी कमाल का काम करता है।

*हरियाणा के मुसलमानों का कमाल- ::--*
गांधी की मेहरबानी से मेवात के मुसलमान पाकिस्तान नही गये थे।
पिछले 15 सालों से40 लाख मुसलमान बिहार, यूपी, राजस्थान में आकर बस गये हैं। 70 फीसदी तो हिन्दू नामों से रह रहे हैं और ऊपर लिखी बाते अच्छी तरह सरंजाम दे रहे हैं।

पंजाब में भी लाखों मुसलमान पहुंच चुका है। वक्त आने पर ये सब जेहाद के लिये कुरान के मुताबिक काफिरों को दोजख पहुचाने के लिये तैयार हैं। अल्ला हमारे साथ है।

*काफिरों का बंटवारा::+*--
- वैसे तो हिन्दू जांत-पांत में बंटा है आप लोग इनके SC/ST के दिमाग में हिन्दुओं के लिये खूब नफरत भरें
कि हिन्दुओं ने इनके ऊपर सैकड़ों साल जुल्म ढाये।
मुसलमानों शाबास।

*आसाम और कश्मीर- ::*
आसाम और कश्मीर पर तो मुसलमानों का कब्जा हो चुका है। सारे बुतखाने तोड़ दिये गये हैं। महलों व सड़कों का नाम बदलकर जिन्हा रोड व अली रोड कर दिये हैं। आसाम पर भी काफी हद तक मुसलमानों का कब्जा है। काफिरों का कत्ल करके दहशत फैला कर भगाया जा रहा है। इस तरह कश्मीर की तरह हिन्दुओं की जायदाद व औरतें अल्ला की फजल से हम मुसलमानों को मिल रही हैं। इन्शाह अल्लाह जल्दी ही सारे हिन्दुस्तान को इस्लाम के झंडे के नीचे आयेगा।

सन् 1947 में हमारे जवानों ने काफिरों के छोटे-छोटे बच्चे आसमान में उछालकर नैजे व भाले पर लिये थे। इनकी औरतों के साथ 10/10 मुसलमानों ने जिन्हा किया था और अल्हादानी लोहे की नोहर गर्म करके लाल-लाल उनके थनों पर चिपकाई गई थी। कई औरतों के थन काट दिये थे। उनके बच्चों को मारकर पकाकर खिलाया भी था।

राजीव गांधी के राज में फार्मूला काश्मीर में आजमाया गया।
नतीजा यह निकला कि साढ़े तीन लाख पण्डितों से कश्मीर 3 दिन में खाली हो गया और करोड़ों बल्कि अरबों रूपये की काफिरों की जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो गया।

*जेहाद में औरतों के लिये खास दस्ता::++*
मुसलमान जवान का यह दस्ता स्कूटर कार छोटे ट्रक वगैरा पर हिन्दू देवताओं की फोटों चिपकाकर रखें।
ड्राइवर व कंडक्टर हिन्दू वेश में हो।
जब अफरा-तफरी फैले तो काफिरों को जिनमें औरतें ज्यादा हों मुसलमान मोहल्लों में भगाकर ले जायें। औरतें को वहां पहुंचा दी जायें। काफिर मर्द और बच्चे मारकर दोजख भेज दें।

ये नुस्खा 40 साल pahle आजमाया गया था, उस समय वाई वी चैहान होम मिनिस्टर थे। इसी दस्ते के लिये जयपुर फार्मूला कई साल पहले हमारे मुसलमाना जवानों ने जयपुर में फसाद शुरू किये थे और हिन्दू घरों से व लड़कियों के स्कूलों से उठा ली थी। 6 माह बाद जब 2/3 लड़कियों ने अपने घर खबर भेजी तो खानदान के उन लोगों ने उन लड़कियों को वापस लेने से इन्कार कर दिया। 1948 में जब हिन्दू मिलिट्री, हिन्दू औरतों को निकालकर हिन्दुस्तान लाई तो उनके खानदान वालों ने लेने से इंकार कर दिया। इस वास्ते कुछ ने तो खुदकुशी कर ली।

ये सब मुसलमानों के लिये अच्छा हुआ। इसके लिये हिन्दुओं की दाद देनी चाहिये।

मुसलमानों और हिन्दुओं के मरने की निस्बतः-
जब पाकिस्तान बना तो एक मुसलमान शहीद हुआ था और 100 काफिर मारे गये थे अब तो बम्बों और एके 47 का जमाना है,
अल्ला ने चाहा तो एक मुसलमान के मारे जाने पर 1000 हिन्दू मरेंगे अल्ला हमारे साथ है।

मुसलमानों को अल्ला का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो सब भूल गयें अल्ला ने उसका दिमाग बड़ा कमजोर दिया है। इसलिये हमने 800 साल हुकूमत की और इन्शाह अल्ला फिर करेंगे। इस बात से साबित होता है कि अल्ला भी चाहता है कि मुसलमानों को हिन्दुस्तान की हुकूमत मिले और हिन्दुओं की औरतों के साथ मौज मस्ती मिले ।

चीन, पाकिस्तान और बंग्लादेश से हथियार व नकली नोट हम मुसलमानों की मदद के लिये अल्ला भिजवा रहा है।
हिन्दू अफसर और पुलिस वाले इसी पैसे से अंधे बना दिये जाते हैं।

यह खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये। खाना जंगी के वक्त पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश भी हमारी मदद के लिये हिन्दुस्तान पर हमला बोल देंगे।
नेपाल में काफी मंदिर तोड़ दिये गये हैं और आईएसआई की मदद से काफी लोग मुसलमान हो गये हैं।

*कलावा* :--मोटर साईकिल-मुसलमान जवानों को चाहिये अपने हाथ में कलावा बांध कर अपना नाम बदलकर हिन्दू नाम अपना लें। मोटर साईकिल पर सवार होकर हिन्दू मोहल्ले में कालेजों और स्कूलों के पास खड़े होकर हिन्दू लड़कियों से इश्क लड़ायें। होटलों में भी खुद भी ऐश करें और उनसे काल गर्ल्स का काम लें।

इस कमाई से कुछ हिस्सा हथियारों पर खर्च करें। कारों वाले भाई जान भी करें। अरब मुल्कों में इसके लिये काफी पैसा हम तक पहुंच रहा ै ! जिसे हमने तुम्हारे मौलानाओं से तुम्हे काफिरों की लौडियों को फंसाने के बाद तुम्हे देने को कह दिया है !

भूल कर भी सिखों को न छेड़ें।
ये जालिम होते हैं बल्कि चक्कर चलाकर उनको हिन्दुओं से दूर रखें।
हिन्दुओं के बाद इनसे भी निबट लेंगे !

ये खत किसी हिन्दू को ना दिखायें।
आपका खादिम

(हाफिज सईद)

नारे तदबीर अल्लाह हो अकबर ''

Jago Hindu jago...

Kasam khawo sab Hindu
Ki kam se kam ek ek Hindu

iss msg ko kam se kam 101 se bhi jyada Hinduon tak pahuchaane ki koshish karegaa....

Jaago Hinduo! Jaago!
-
मै यै मैसैज २००० लौगौ तक पहुचाने का प्रण लिया है

अगर मे नही भेज पाया
तौ कभी बी वाटसअप नही चलाउंगा

जय श्री राम
जय हिन्द

Monday, February 17, 2020

Sc/St/Obc/General लड़ना छोड़ो और ये पढ़ो

Sc/St/Obc/General लड़ना छोड़ो और ये पढ़ो

🌎जो हिन्दू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबों सालों से सनातन धर्म है और इसे कोई नहीं मिटा सकता, मैं उनसे केवल इतना विनम्र अनुरोध करता हूँ कि नीचे लिखे तथ्यों को एक बार ध्यान से अवश्य पढ़ें:

🌎आखिर अफगानिस्तान से हिन्दू क्यों मिट गया ?

🌎"काबुल" जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक भी मंदिर नहीं बचा।

🌎"गांधार" जिसका विवरण महाभारत में है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चुका है, और वहाँ आज एक भी हिन्दू  नहीं बचा l

🌎"कम्बोडिया" जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर "अंकोरवाट" बनाया, आज वहाँ भी हिन्दू नहीं है l

🌎"बाली द्वीप" में 20 साल पहले तक 90% हिन्दू थे, आज सिर्फ 20% बचे हैं l

🌎"कश्मीर घाटी" में सिर्फ 25 साल पहले 50% हिंदू थे, आज एक भी हिन्दू नहीं बचा l

🌎"केरल" में 10 साल पहले तक 60% जनसंख्या हिन्दुओं की थी, आज सिर्फ 10% हिन्दू केरल में हैं l

🌎"नोर्थ ईस्ट" जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि में हिन्दू हर रोज मारे या भगाए जाते हैं, या उनका धर्म परिवर्तन हो रहा है l

🌎मित्रों, 1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नहीं था, सिर्फ पारसी रहते थे l

🌎जब पारस पर मुस्लिमों का आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े - बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे कि हमें कोई मिटा नहीं सकता, लेकिन ईरान से सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए l

धीरे - धीरे उनका कत्लेआम और धर्म - परिवर्तन होता रहा l

🌎एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नौसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुंचे, और आज पारसी सिर्फ भारत में ही गिनती की संख्या में बचे हैं l

🌎हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं……
आज तक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट अब हिन्दुओं पर आने वाला है l

🌎ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमों के 56 देश हैं l

🌎और हिन्दुओं का एक मात्र देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा l

🌎मैंने 10 लोगों को जो कि हिन्दू हैं, उनसे पूछा कि किस जाति के हो ?

🌎सभी ने अलग - अलग जवाब दिया……
किसी ने कहा राजपूत…
किसी ने कहा ब्राम्हण…
किसी ने कहा जाट…
किसी ने जैन कहा…
तो किसी ने अग्रवाल…… सब लोगों ने अलग - अलग बताया l

🌎लेकिन मैंने 10 मुसलमानोँ से पूछा कि कौन सी जाति के हो ?

सभी का एक जवाब आया…… "मुसलमान"

🌎मुझे बड़ा अजीब लगा, मैंने फिर से पूछा, फिर वही जवाब आया…… "मुसलमान"

🌎तब मुझे बहुत अफसोस हुआ, और लगा हम कितने अलग और वो कितने एक……

🌎कुछ समझ में आया हो तो आगे से कोई पूछे तो एक ही जवाब आना चाहिए……
॥ हिन्दू ॥

और अगर आप "हिन्दू" होने का गर्व करते हो तो इस मैसेज को इतना फैला दो यह मैसेज मुझे वापस किसी हिन्दू से ही मिले l

🌎पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम भाई ने जनहित याचिका डाली थी कि पड़ोसी मुल्क में हज करने के लिए सब्सिडी मिलती है तो हमें भी मिलनी चाहिए l

🌎पाकिस्तान कोर्ट ने जनहित याचिका रिजेक्ट करते हुये कहा कि "कुरान" और "हदीस" के हिसाब से हज पसीने की कमाई से करना पड़ता है, दूसरों की कमाई से नहीं l

🌎सब्सिडी इस्लाम के खिलाफ है, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से भारतीय मुसलमानों को मिल रही सब्सिडी हराम है l

🌎क्या नेता इस पर कुछ टिप्पणी देंगे ?

🌎अजीब कानून है भैया……
गाय का चारा खाया तो जेल भेज दिया……
और जो गाय को खा रहा है उसको हज के लिए भेजते हो l

🌎ये जो नीचे एक वाक़या (कश्मीर का) लिखा है वो कोई मज़ाक नहीं है, कल ये आपके शहर में भी हो सकता है l

🌎अगर ये अमेरिका, जापान या फिर चाइना में हुआ होता तो इन शांतिप्रिय मजहब वालों को काट कर गटर में फेंक देते l

🌎कुछ दिन पहले NDTV के रवीश कुमार ने RSS के सिन्हा सर से तल्ख़ मुद्रा में पूछा था कि अगर देश में मुस्लिम ज्यादा हो जायेंगें तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा ?

इसका एक प्रायोगिक उत्तर कल के एक वाकये ने दिया l

🌎मुस्लिम बाहुल्य "काश्मीर विश्वविद्यालय" में एक फिल्म "हैदर" की शूटिंग चल रही थी, उसके एक दृश्य के फिल्मांकन के लिए तिरंगा झंडा लगाया गया, और कलाकारों को जय हिन्द बोलना पड़ा l

🌎इतना होना था कि विश्वविद्यालय के छात्र उस यूनिट पर टूट पड़े l

🌎फिल्म का सेट तोड़ दिया गया, काफी जद्दोजहद के बाद फिल्म के कलाकारों को बाहर निकाला जा सका l

🌎तिरंगे से उनकी नफरत और जय हिन्द पर आपत्ति इस सबका कारण थी l

🌎पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन कालेज प्रशासन के कहने पर छोड़ दिया गया l

🌎ध्यान रहे वो अनपढ़ लोग नहीं, विश्वविद्यालय के छात्र थे l

🌎हाथ जोड़ के विनती है, इसे शेयर करें ये कोई छोटी खबर नहीं है l

🌎ये हमारे देश के सम्मान की बात है एक सुन्दर संवाद……
(एक बार ज़रूर पढ़ें )

🌎बी एस सी के छात्र का कॉलेज का पहला दिन……
(गले में बड़े-बड़े रुद्राक्ष की माला)
प्रोफेसर-- बड़े पंडित दिखाई देते हो, लेकिन कॉलेज में पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो…… पूजा पाठ घर में ही ठीक है l
(क्लास के सभी बच्चे ठहाका लगाते हैं)
छात्र (विनम्रता से)-- सर, आप मेरे गुरु हैं, और सम्माननीय भी इसलिए आपकी आज्ञा से ही कुछ कहना चाहूँगा l

🌎शिक्षक कहते हैं-- बोलो ?
छात्र-- सर, जब ऐसे छोटे कॉलेज छोड़िये आई आई टी और मेडिकल कॉलेज तक में मुस्लिम छात्र दाढ़ियाँ बढ़ाकर या टोपी चढ़ाकर जाते हैं और कितनी भी बड़ी लेक्चर हो क्लास छोड़कर नमाज़ के लिए बाहर निकल जाते हैं तो शिक्षकों को वो धर्मनिष्ठता लगती है l

🌎जब क्रिश्चियन छात्र गले में बड़े बड़े क्रॉस लटकाकर घूमते हैं तो वो धर्मनिष्ठता हैं, और ये उनके मजहब की बात हुई l

🌎और आज आपके सामने इसी क्लास में कितनी ही लड़कियों ने बुर्का पहना है, और कितने ही बच्चों ने जाली - टोपी चढ़ा रखी है तो आपने उन्हें कुछ नहीं कहा तो आखिर मेरी गलती क्या है ?
क्या बस इतना कि मैं एक हिंदू हूँ l

🌎शिक्षक क्लास छोड़कर बाहर चला गया ।

🌎1 मिनट चैटिंग छोडकर इस पोस्ट को जरूर पढेँ… वर्ना सारी जिन्दगी चैट ही करते रह जाओगे l

🌎आँखों से पर्दा हटाओ दोस्तों और मशाल जलाओ l
ज्यादा से ज्यादा ये पोस्ट पूरी वाट्सअप पर फैलानी है l

Monday, December 16, 2019

Sunday, October 6, 2019

गैर मुस्लिम काफिरों पर जिहाद की नीति

लेख में दिए गए तथ्य डा. सुब्रमणियन स्वामि (तत्काल राज्य सभा सांसद, पूर्व हार्वर्ड प्रोफेसर, पूर्व सदस्य- भारतीय प्लानिंग कमिशन, पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर), डेविड वुड्स (अमेरिकन एक्टिविस्ट, रिलिजन रिसर्चर), मोसेब युसुफ़ (भूतपूर्व मुस्लिम, इस्लामिक स्कॉलर, पुत्र: हमास लीडर- इस्लामिक आतंकवादी संगठन) की स्पीच एवं लेख में से लिए गए हैं।

गैर मुस्लिम काफिरों पर जिहाद की नीति
3 Stages of Armed Jihad

जिहाद ए असगर - गैर मुस्लिम काफिरों पर जिहाद

इस्लाम समूचे संसार को 3 भागों में विभाजित करता है। इन तीनों भागों में इस्लाम की नीति मुसलमान काफिरों के लिए स्पष्ट है:
दारुल अमन: जब मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यक हो और बहुमत गैर मुस्लिम काफिर आबादी एकजुट हो।
दारुल हरब: जब मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यक हो औेर बहुसंख्यक गैर मुस्लिम आबादी एकजुट ना हो।
दारुल इस्लाम: जब मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक हो।

1. दारुल अमन: जब मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यक हो और बहुमत गैर मुस्लिम काफ़िर आबादी एकजुट हो (छिपा हुआ जिहाद): यहां इस्लाम निर्देशित करता है कि ऊपर से गैर मुसलमान काफिरों के मित्र बन जाओ परन्तु अंदर से उन्हें सदैव अपना शत्रु मानो। सदैव एकजुट रहो, अपनी जनसंख्या की वृद्धि करते रहो। दारुल अमन में मुसलमान शांति पूर्ण तरीके से जिहाद करते हैं। इसको छिपा हुआ जिहाद भी कहा जा सकता है। “दारुल अमन में संसार के सारे अच्छे मुस्लिम मिलते हैं जो सबके साथ मिल जुल के रहते प्रतीत होते हैं।”
उदाहरण ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया में एक बार एक इस्लामिक विद्वान ने मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां की सरकार से यह मांग रखी कि हम मुसलमान हैं और हमारे विवाह एवं तलाक आदि के नियम शरीयत के अनुसार होते हैं अथवा अलग हैं। इसलिए मुस्लिमों के लिए उनके धर्म के नियमों के अनुसार विवाह, तलाक आदि की व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए। उस समय ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री एक महिला थी। प्रधान मंत्री ने कहा कि जिनको शरिया चाहिए वे अपना सामान बांधें और उस देश में जाकर रहें जहां शरिया कानून लागू है। ऑस्ट्रेलिया में Uniform Civil Code सबके लिए एक समान कानून  विधान ही रहेगा। अगले दिन सब मुसलमानों ने एकजुट होकर कहा कि वह मौलाना तो पागल है, हम सब ऑस्ट्रेलियन कानून से अत्यंत प्रसन्न हैं। जो मुसलमानों को ऑस्ट्रेलिया में स्वीकृत हैं वह भारत में कदापि मान्य नहीं है।

2.  दारुल हरब: जब मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यक हो औेर बहुसंख्यक गैर मुस्लिम आबादी एकजुट ना हो (रक्षात्मक जिहाद): यहां इस्लाम कहता है कि जो भी इस्लाम के  खिलाफ बोले या उसके खिलाफ आवाज़ उठाए उसे मृत्यु दे दो। अपने इस्लामिक अधिकारों  के लिए, शरिया कानून के लिए मांग करते रहो। संगठित रहो एवं अपनी जनसंख्या की वृद्धि करते रहो। “दारुल हरब में अच्छे (सामान्य जिहादी) एवं बुरे (कट्टरपंथी जिहादी) मुसलमान दोनों मिलेंगे। हरी टिड्डी रूपी बुरे मुसलमान हरी घास रूपी अच्छे मुसलमानों में छुप कर जिहाद करते हैं। बहुसंख्यक गैर मुस्लिम काफिरों को भ्रमित रखने  के लिए मुस्लिमों कि छवि बनाने का कार्य घास रूपी अच्छे मुसलमान करते हैैं।”  घास रूपी अच्छे मुस्लिम इस बात का प्रचार करते हैं कि सब मुसलमान बुरे नहीं होते। इसमें मुस्लिमों के द्वारा किए गए एक दो छोटे बड़े कार्यों को बड़ा चड़ा के बड़े स्तर पर प्रचारित किया जाता है। इसमें तथाकथित अच्छे मुस्लिम जो सिनेमा से जुड़े हैं वे  सिनेमा के माध्यम से, जो लेखक हैं वे लेख  के माध्यम से, जो समाचार से जुड़े हो वे समाचार के माध्यम से, जो जिस क्षेत्र  संबंधित होता है वो उस क्षेत्र के माध्यम से मुसलमानों की छवि को सुधारने  कार्य करते हैं। वे ऐसा करने में यह भी प्रस्तुत करने का भी प्रयत्न करते हैं कि मुसलमानों  साथ कितना अत्याचार हो रहा है।  इस प्रकार तथाकथित अच्छे मुसलमान जिहाद में अपना सहयोग प्रदान करते हैं।
इस प्रकार के जिहाद के अनेक उदाहरण हैं जैसे भारत, फ्रांस, इंग्लैंड, अधिकांश यूरोप, अमेरिका आदि। उदाहरण के लिए फ्रांस में एक समाचार पत्रिका ने 53 वर्ष के पैगम्बर मोहम्मद का चित्र उसकी 7 वर्ष की आयु की बेगम के साथ प्रसारित किया जो की सच है। ऐसा करने पर जिहादियों ने उनके कार्यालय में घुस कर 17 लोगों को मार डाला और 19 लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। पर जब एम. एफ. हुसैन नामक पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण पेंटर  ने हिन्दू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाकर प्रसारित किए तो सब तथाकथित अच्छे मुसलमान चुप रहकर जिहाद में योगदान कर रहे थे। तथाकथित अच्छे मुसलमान गाज़ा में मुसलमानों के इस्राएल के द्वारा मारे जाने पर समूचे विश्व में प्रदर्शन करते हैं परन्तु इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा दसियों हज़ार यज़िडी yazidi  लड़कियों एवं स्त्रीयों को सेक्स गुलाम बनाने पर एकदम चुप रहकर काफिरों पे जिहाद का समर्थन करते हैं। 6 से 7 साल की बच्चियों का भी दिन में 30 से ज़्यादा बार बलात्कार किया जाता रहा। सिर्फ यही नहीं इन सेक्स ग़ुलामों का बाज़ार लगाकर $10 से $500 में बेच दिया जाता। अच्छे मुसलमान इसलिए भी चुप रहते हैं क्योंकि इस्लाम  अनुसार काफ़िर महिलाओं को सेक्स ग़ुलाम बना कर रखना हलाल (पुण्य) का  कार्य है और प्रत्येक काफ़िर सेक्स ग़ुलाम के बदले जन्नत में एक हूर (सुंदर कुंवारी कन्या जो सेक्स करने के बाद भी कुंवारी रहती है) अधिक प्राप्त होती है। प्रोफेट मोहम्मद की भी अनेक काफ़िर सेक्स गुलाम थी। मोहम्मद घोरी, गज़नी, बाबर, अक़बर, जहांगीर, औरगज़ेब आदि इस्लामिक आक्रांताओं की अनगिनत काफ़िर सेक्स गुलाम थी। काफ़िर सेक्स गुलाम से पैदा होने वाली संतान इस्लाम के अनुसार जिहादी होती है। विश्व की ज़्यादातर मुस्लिम आबादी इसी प्रकार के जिहाद के फलस्वरूप विकसित हुई है।

3. दारुल इस्लाम: जब मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक हो (आक्रामक जिहाद): यहां पर इस्लाम कहता है कि गैर मुस्लिम काफिरों को जहां भी देखो मार दो, जो कुछ भी उनका हो उसपर अतिक्रमण लो। उनकी स्त्रीयों को ग़ुलाम बना लो। उनके साथ तब तक बलात्कार करो जब तक वे इस्लाम ना कबूलें। ऐसा करना हलाल (पुण्य) है और जो भी इसे हराम (पाप) कहेगा उस पापी को मार देना अनिवार्य है। इस्लाम यह स्पष्ट बताता है कि एक मुसलमान के लिए किन औरतों  साथ  शारीरिक संबंध बनाना हलाल (पुण्य) है। उसमें कहा गया है कि अपनी बेगमों (wives) और काफ़िर ग़ुलाम स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाना हलाल (पुण्य) है। उन गुलाम औरतों से पैदा होने वाले बच्चे नए जिहादी होते हैं। “दारुल इस्लाम में केवल कट्टरपंथी मुसलमान  ही दिखाई पड़ते हैं, सामान्य अच्छे मुसलमान अचानक से कहीं लुप्त हो जाते हैं।” दारुल इस्लाम के अनेक उदाहरण हैं। निकटतम उदाहरण इराक़ में yazidi यज़िडी धर्म के लोगों के साथ हुआ नरसंहार एवं यज़िडी स्त्रियों को सेक्स स्लेव बनाकर उनके अमानवीय बलात्कार। 1990 कश्मीर में बहुसंख्यक मुसलमानों ने मस्जिदों से नारे लगा कर घोषणा की थी कि कश्मीर में रहना होगा तो अल्लाह हु अक़बर कहना होगा। उन्होंने अल्पसंख्यक हिन्दुओं को तीन विकल्प दिए थे। 1. मुसलमान बन जाओ 2. मारे जाओ 3. अपनी स्त्रियों को छोड़ के यहां से चले जाओ। जब बात स्त्रियों पर  आयी तो कश्मीरी हिन्दुओं ने लाखों की संख्या में पलायन शुरू कर दिया। उसमें भी पुरूषों को मार दिया गया छोटी बच्चियों, लड़कियों और औरतों का सामूहिक बलात्कार करके हज़ारों हिन्दू स्त्रियों को सड़कों  पर नग्न घुमाया गया। मुसलमान छात्रों ने अपनी हिन्दू अध्यापिकाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किए, हिन्दू साइंटिस्ट, मीडिया कर्मी, पुलिस कर्मी, इंजिनियर, डॉक्टर, नर्स किसी पर कोई दया नहीं की गई। लाखों हिंदुओं का नर-संहार किया गया, लाखों हिन्दू बच्चियां, लड़कियाँ, महिलाएं आज भी लापता हैं। वे जीवित हैं या नहीं कोई नहीं जानता। कुछ के घरवाले आज भी उम्मीद लगाकर बैठे हैं। लगभग 100% कश्मीरी मुसलमानों की जनसंख्या ने काफ़िर हिंदुओं पर जिहाद में सहयोग किया था। तो क्या उन सबको अपराधी मानना तर्कसंगत नहीं है। 5,00,000 से ज़्यादा कश्मीरी हिन्दू आज भी अपने ही देश में शरणार्थी हैं जिनकी सुनने वाला कोई नहीं।
अभी  2017 में मयानमार में हिन्दू पुरुषों की सामूहिक कब्रें मिली। यह कब्रें तब मिली जब कुछ हिन्दू लड़कियों को रोहिंग्या मुसलमानों के कैम्प से सुरक्षाबलों द्वारा  छुड़ाया गया। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके गांव पर मुसलमानों ने सामूहिक हमला किया। हिंदुओं को चुन चुन के निकाला गया। उनकी आंखों के सामने उनके परिवार के पुरुषों कि अत्यंत अमानवीय तरीके से हत्या कि गई। हिंदु औरतों को सेक्स गुलाम बनाकर उनके साथ लगातार दिन रात बलात्कार किए गए। उनमें से कुछ ने बच्चों को जन्म दिया और कुछ दोबारा गर्भवती थीं। जो ज़्यादा हतभागी थीं वे अब भी लापता हैं।
इसके अलावा दारुल इस्लाम के और बहुत से उदाहरण हैं जहां पिछले 1400 सालों में कश्मीर जैसा जिहाद हुआ। मुसलमानों के 50 से ज़्यादा देश हैं। जितने भी देश हैं वे सब पहले हिन्दू, पर्सियन, क्रिश्चियन, यहूदी एवं बुद्धिस्ट देश थे जो के जिहाद के शिकार हुए। पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश में हिन्दू और सिखों को अत्यंत प्रताड़ित किया जाता है। 14 साल का होते ही हिन्दू एवं सिख लड़कियों को उठा लिया जाता है। पुलिस में जाने पर जवाब मिलता है कि तुम्हारी लड़की ने कलमा पड़ लिया है और वह मुसलमान हो गई है, वह अपने शौहर(पति) के घर है। अब तुम्हारा उससे कोई वास्ता नहीं। उसे भूल जाओ। उनकी रिपोर्ट भी नहीं लिखी जाती। ननकाना साहिब पाकिस्तान में जब एक भारतीय न्यूज़ चैनल ने इसका सबूतों  साथ प्रसारण किया तो उसके रिपोर्टर पर एयरपोर्ट  पास ही आतंकी हमला हुआ जिसमें वह किसी तरह जीवित बच गया।  देश तो दूर की बात है, जिस गांव, छोटी कॉलोनी, शहर अथवा राज्य में भी मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक होती है तो वहां भी गैर मुसलमानों के साथ जिहाद की वारदातें एवं यातनाएं बड़े स्तर पर होना सामान्य है। उदाहरस्वरूप केरल- मल्लापुरम, पश्चिम बंगाल- आसनसोल, रानीगंज, उत्तर प्रदेश- कैराना, मऊ आदि।

ऊपर बताए गए तथ्य भारतीय राज्य सभा सांसद डा. सुब्रमणियन स्वामी ने अमेरिका में अपनी स्पीच में उजागर किए हैं। डेविड वुड्स (अमेरिकन एक्टिविस्ट) ने उस स्पीच की व्याख्या कर उसे और विस्तार  इसे समझाया है।

इस्लाम के अनुसार काफिर कौन है
जो सर्वशक्तिमान अल्लाह में विश्वास ना रखें। या
जो प्रॉफिट मुहम्मद को आखिरी पैगम्बर (मैसेंजर) ना माने अथवा उसमें श्रद्धा ना रखे। या
जो मूर्ति पूजा करते हों। या
इस्लाम के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले लोग। या
जिसकी इस्लाम में तो श्रद्धा हो लेकिन इस्लाम के साथ दूसरे धर्म में भी विश्वास हो अथवा उसके प्रति सम्मान हो।
ऊपर वर्णित पांचों में से कोई व्यक्ति किसी एक मापदंड को भी पूर्ण करले तो वह काफ़िर है।

गैर मुसलमानों के साथ अल - तक्किया की नीति

अल ताक्किया नीति  अनुसार एक मुसलमान के लिए काफिरों के साथ झूठी कसम खाना, झूठ बोलना, धोखा देना, झूठे राजनीतिक  रक्षा समझौते करना हलाल पुण्य है।

जिहाद ए अक़बर (मुसलमान का मुसलमानों के प्रति जिहाद) एवं जिहाद ए असगर (मुसलमानों का काफिरों के प्रति किया जाने वाला जिहाद) में अन्तर

जब भी कभी काफिरों पर जिहाद की असलियत खुलने लगती तो इस्लामिक तथाकथित विद्वान्  एक स्वर में कहने लगते हैं कि यह जिहाद नहीं है, किसी प्यासे को पानी पिलाना जिहाद है, किसी की सहायता करना जिहाद है।  दूसरा तर्क इस्लामिक तथाकथित विद्वान् देते हैं कि इस्लाम कहता है कि एक बेगुनाह को मारने का मतलब है पूरी इंसानियत को मारना।
यह तर्क सुनके लोग भ्रमित हो जाते हैं कि यह जिहाद है जो यह तथाकथित विद्वान कह रहा है या वो जिहाद है ऊपर बताया गया है।
इस्लाम में सबसे बड़ा गुनाह है कुफ्र या काफ़िर होना। काफिरों  पर दया करना हराम (पाप) है। काफिरों  लिए तभी कुछ किया जा सकता है अगर वह इस्लाम को सशक्त करने  लिए हो अथवा नहीं। पानी पिलाना आदि अच्छे कार्य करना, यह केवल मुसलमानों का  मुसलमानों  प्रति जिहाद ए अक़बर का हिस्सा है। एक निर्दोष को मारना पूरी इंसानियत  मारने के बराबर है यह भी जिहाद ए अक़बर का हिस्सा है क्योंकि गैर मुस्लिम काफ़िर होना इस्लाम के हिसाब से सबसे बड़ा अपराध है और उनको मारना हलाल (पुण्य) है।

समूचे विश्व में गैर मुस्लिम काफिरों पर जिहाद करने वाले कुछ जिहादी आतंकवादी संगठनों की सूची। इन संगठनों को अपना आदर्श मानने वालों की संख्या करोड़ों में है:

1. अल-शबाब (अफ्रीका),
2. अल मुरबितुन (अफ्रीका),
3. अल-कायदा (अफगानिस्तान),
4. अल-कायदा (इस्लामिक मगरेब),
5. अल-कायदा (भारतीय उपमहाद्वीप),
6. अल-कायदा (अरब प्रायद्वीप),
7. हमास (फिलिस्तीन),
8. फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (फिलिस्तीन),
9. (फलस्तीन) मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा,
10. हिज़बुल्लाह (लेबनान),
11. अंसार अल-शरिया-बेनगाज़ी (लेबनान),
12. असबत अल-अंसार (लेबनान),
13. ISIS (इराक),
14. ISIS (सीरिया),
15. ISIS (कॉकस)
16. ISIS (लीबिया)
17. ISIS (यमन)
18. ISIS (अल्जीरिया),
19. आईएसआईएस (फिलीपींस)
20. जुंद अल-शाम (अफगानिस्तान),
21. अल-मौराबितौन (लेबनान),
22. अब्दुल्ला आज़म ब्रिगेड (लेबनान),
23. अल-इतिहाद अल-इस्लामिया (सोमालिया),
24. अल-हरमीन फाउंडेशन (सऊदी अरब),
25. अंसार-अल-शरिया (मोरक्को),
26. मोरक्कन मुद जादीन (मोरक्को),
27. सलाफिया जिहादिया (मोरक्को),
28. बोको हरम (अफ्रिका),
29. (उज्बेकिस्तान) का इस्लामी आंदोलन,
30. इस्लामिक जिहाद यूनियन (उज्बेकिस्तान),
31. इस्लामिक जिहाद यूनियन (जर्मनी),
32. DRW ट्रू-रिलिजन (जर्मनी)
33. फजर नुसंतरा आंदोलन (जर्मनी)
34. DIK हिल्डशाइम (जर्मनी)
35. जैश-ए-मोहम्मद (कश्मीर),
36. जैश अल-मुहाजरीन वाल-अंसार (सीरिया),
37. फिलिस्तीन (सीरिया) की मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा,
38. जमात अल दावा अल कुरान (अफगानिस्तान),
39. जुंडल्लाह (ईरान)
40. Quds Force (ईरान)
41. कटैब हिज्बुल्लाह (इराक),
42. अल-इतिहाद अल-इस्लामिया (सोमालिया),
43. मिस्र के इस्लामी जिहाद (मिस्र),
44. जुंद अल-शाम (जॉर्डन)
45. फजर नुसंतरा आंदोलन (ऑस्ट्रेलिया)
46. ​​इस्लामिक रिवाइवल का समाज
47. विरासत (टेरर फंडिंग, वर्ल्डवाइड कार्यालय)
48. तालिबान (अफगानिस्तान),
49. तालिबान (पाकिस्तान),
50. तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान),
51. इस्लाम की सेना (सीरिया),
52. इस्लामिक मूवमेंट (इज़राइल)
53. अंसार अल शरिया (ट्यूनीशिया),
54. (जेरुसलम) के दूतों में मुजाहिदीन शूरा परिषद,
55. लीबिया इस्लामिक फाइटिंग ग्रुप (लीबिया),
(पश्चिम अफ्रीका) में एकता और जिहाद के लिए आंदोलन,
56. फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (फिलिस्तीन)
57. तेविद-सेलम (अल-कुद्स आर्मी)
58. मोरक्को इस्लामिक कॉम्बैटेंट ग्रुप (मोरक्को),
59. काकेशस अमीरात (रूस),
60. दुख्तारन-ए-मिलत नारीवादी इस्लामवादी (भारत),
61. इंडियन मुजाहिदीन (भारत),
62. जमात-उल-मुजाहिदीन (भारत)
63. अंसार अल-इस्लाम (भारत)
64. छात्र इस्लामिक आंदोलन (भारत),
65. हरकत मुजाहिदीन (भारत),
66. हिजबुल मुजाहिदीन (भारत)
67. लश्कर ए इस्लाम (भारत)
68. जुंद अल-ख़िलाफा (अल्जीरिया),
69. तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी,
70. मिस्र के इस्लामिक जिहाद (मिस्र),
71. ग्रेट ईस्टर्न इस्लामिक रेडर्स फ्रंट (तुर्की),
72. हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (पाकिस्तान),
73. तहरीक-ए-नफ़ाज़-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी (पाकिस्तान),
74. लश्कर ए तैय्यबा (पाकिस्तान)
75. लश्कर ए झांगवी (पाकिस्तान) अहले सुन्नत वाल जमात (पाकिस्तान),
76. जमात उल-अहरार (पाकिस्तान),
77. हरकत-उल-मुजाहिदीन (पाकिस्तान),
78. जमात उल-फुरकान (पाकिस्तान),
79. हरकत-उल-मुजाहिदीन (सीरिया),
80. अंसार अल-दीन फ्रंट (सीरिया),
81. जबात फतेह अल-शाम (सीरिया),
82. जमाअह अनरहुत दौला (सीरिया),
83. नूर अल-दीन अल-ज़ेंकी आंदोलन (सीरिया),
84. लिवा अल-हक (सीरिया),
85. अल-तौहीद ब्रिगेड (सीरिया),
86. जुंद अल-अक्सा (सीरिया),
87. अल-तौहीद ब्रिगेड (सीरिया),
88. यरमौक शहीद ब्रिगेड (सीरिया),
89. खालिद इब्न अल-वलीद सेना (सीरिया),
90. हिज्ब-ए इस्लामी गुलबदीन (अफगानिस्तान),
91. जमात-उल-अहरार (अफगानिस्तान)
92. हिज्ब उत-तहरीर (विश्वव्यापी खलीफा),
93. हिजबुल मुजाहिदीन (कश्मीर),
94. अंसार अल्लाह (यमन),
95. राहत और विकास के लिए पवित्र भूमि फाउंडेशन (यूएसए),
96. जमात मुजाहिदीन (भारत),
97. जमाअह अनरहुत तौहीद (इंडोनेशिया),
98. हिज़बट तहरीर (इंडोनेशिया),
99. फजर नुसंतरा आंदोलन (इंडोनेशिया),
100. जेमाह इस्लामिया (इंडोनेशिया),
101. जेमाह इस्लामिया (फिलीपींस),
102. जेमाह इस्लामिया (सिंगापुर),
103. जेमाह इस्लामिया (थाईलैंड),
104. जेमाह इस्लामिया (मलेशिया),
105. अंसार डाइन (अफ्रीका),
106. अस्बत अल-अंसार (फिलिस्तीन),
107. हिज्ब उत-तहरीर (समूह को जोड़ने वाला)
108. इस्लामी खलीफा दुनिया भर में एक दुनिया इस्लामी खलीफा)
109. नक्शबंदी आदेश (इराक) के पुरुषों की सेना
110. अल नुसरा फ्रंट (सीरिया),
111. अल-बद्र (पाकिस्तान),
112. इस्लाम 4 यूके (यूके),
113. अल घुरबा (यूके),
114. कॉल टू सबमिशन (यूके),
115. इस्लामी पथ (यूके),
116. लंदन स्कूल ऑफ शरिया (यूके),
117. क्रुसेड्स (यूके) के खिलाफ मुस्लिम,
118. Need4Khilafah (यूके),
119. शरिया प्रोजेक्ट (यूके),
120. द इस्लामिक दाव एसोसिएशन (यूके),
121. उद्धारकर्ता संप्रदाय (यूके),
123. जमात उल-फुरकान (यूके),
124. मिनाबर अंसार दीन (यूके),
125. अल-मुहाजिरौन (यूके) (ली रिग्बी, लंदन 2017 के सदस्य),
126. इस्लामिक काउंसिल ऑफ़ ब्रिटेन (यूके) (ब्रिटेन की आधिकारिक मुस्लिम काउंसिल के साथ भ्रमित नहीं होना),
127. अहलुस सुन्नत वाल जामा (यूके),
128. एल-गामा (मिस्र),
129. अल-इस्लामिया (मिस्र),
130. (अल्जीरिया) के सशस्त्र इस्लामी लोग,
131. कॉल एंड कॉम्बैट (अल्जीरिया) के लिए सलाफिस्ट ग्रुप,
132. अंसारु (अल्जीरिया),
133. अंसार-अल-शरिया (लीबिया),
134. अल इत्तिहाद अल इस्लामिया (सोमालिया),
135. अंसार अल-शरिया (ट्यूनीशिया),
136. अल-शबाब (अफ्रीका),
137. अल-अक्सा फाउंडेशन (जर्मनी)
138. अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड (फिलिस्तीन),
139. अबू सय्यफ़ (फिलीपींस),
140. अदन-अबान इस्लामिक सेना (यमन),
141. अजनाद मिसर (मिस्र),
142. अबू निदाल संगठन (फिलिस्तीन),
143. जमाअ अंसारुत तौहीद (इंडोनेशिया)